नई दिल्ली, 4 नवंबर, 2025 – भारत सरकार ने वित्त मंत्रालय (व्यय विभाग) के एक संकल्प के माध्यम से, आठवें केंद्रीय वेतन आयोग (8वें सीपीसी) के गठन की आधिकारिक घोषणा कर दी है। यह महत्वपूर्ण कदम, जो 3 नवंबर, 2025 से प्रभावी है, बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारियों और कर्मियों के वेतन और सेवा शर्तों की समीक्षा और उनमें बदलाव की सिफारिश करने की प्रक्रिया की शुरुआत का प्रतीक है।
आयोग का नेतृत्व और संरचना
सरकार ने आयोग के कार्य का नेतृत्व करने के लिए एक तीन-सदस्यीय निकाय नियुक्त किया है:
- अध्यक्ष: श्रीमती न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई
- सदस्य (अंशकालिक): प्रो. पुलक घोष
- सदस्य-सचिव: श्री पंकज जैन
व्यापक विचारार्थ विषय (Terms of Reference)
8वें सीपीसी को एक व्यापक और विस्तृत जनादेश दिया गया है, जिसका उद्देश्य समकालीन कार्यात्मक और विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए परिलब्धियों (emoluments) को युक्तिसंगत बनाना है।
जाँच और सिफारिश के प्रमुख क्षेत्र:
- परिलब्धियों की समीक्षा: वेतन, भत्ते, और अन्य सुविधाओं/लाभों (नकद या वस्तु के रूप में) में वांछनीय और व्यवहार्य परिवर्तनों की जाँच और सिफारिश करना। इसमें निम्नलिखित श्रेणियों के कर्मचारी शामिल हैं:
- केंद्र सरकार के कर्मचारी (औद्योगिक और गैर-औद्योगिक)
- अखिल भारतीय सेवाओं और रक्षा बलों के कर्मी
- केंद्र शासित प्रदेशों के कर्मी और भारतीय लेखापरीक्षा तथा लेखा विभाग के अधिकारी/कर्मचारी
- उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों (जिनका व्यय केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा वहन किया जाता है) के अधिकारी/कर्मचारी और केंद्र शासित प्रदेशों में अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारी।
- संसदीय अधिनियमों के तहत स्थापित नियामक निकायों (आरबीआई को छोड़कर) के सदस्य और कर्मचारी।
- प्रतिभा को आकर्षित करना: एक ऐसी परिलब्धि संरचना तैयार करना जो प्रतिभा को आकर्षित करने, सरकारी कार्य संस्कृति में दक्षता, जवाबदेही और जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के अनुकूल हो।
- प्रोत्साहन योजनाएँ: मौजूदा बोनस योजनाओं की समीक्षा करना और प्रदर्शन में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, उत्पादकता और प्रदर्शन में उत्कृष्टता को पुरस्कृत करने के लिए एक उपयुक्त प्रोत्साहन योजना की सिफारिश करना।
- भत्तों का युक्तिसंगतकरण: मौजूदा भत्तों की बहुलता और उनकी स्वीकार्यता की शर्तों की समीक्षा करना, उनके युक्तिसंगतकरण की सिफारिश करना।
- ग्रेच्युटी और पेंशन समीक्षा:
- राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत कर्मचारियों के लिए मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी की समीक्षा करना।
- एनपीएस के तहत नहीं आने वाले कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी और पेंशन की समीक्षा करना।
- मार्गदर्शक सिद्धांत: सिफारिशें तैयार करते समय महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखना होगा, जिनमें शामिल हैं:
- देश की आर्थिक स्थिति और राजकोषीय अनुशासन की आवश्यकता।
- यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता कि विकासात्मक और कल्याणकारी उपायों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों।
- गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अवित्तपोषित लागत।
- सिफारिशों का राज्य सरकारों के वित्त पर संभावित प्रभाव।
- केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSUs) और निजी क्षेत्र में प्रचलित परिलब्धि संरचना, लाभ और कार्य करने की शर्तें।
समयरेखा और प्रक्रिया
आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में होगा और इसे अपने गठन की तारीख से 18 महीने के भीतर (यानी 2 मई, 2027 तक) अपनी पूर्ण सिफारिशें प्रस्तुत करने का काम सौंपा गया है। सिफारिशें अंतिम रूप दिए जाने पर, आवश्यकतानुसार, अंतरिम रिपोर्ट भेजने का विकल्प भी आयोग के पास सुरक्षित है।
8वें सीपीसी को अपनी प्रक्रिया स्वयं तैयार करने, आवश्यक सलाहकार, संस्थागत परामर्शदाता और विशेषज्ञ नियुक्त करने तथा मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों और सेवा संघों से जानकारी और साक्ष्य मांगने के लिए पूर्ण रूप से अधिकार प्राप्त है, जिनसे पूर्ण सहयोग और सहायता प्रदान करने का आग्रह किया गया है।
यह नियुक्ति एक बड़े अभ्यास की शुरुआत का संकेत देती है जो आने वाले वर्षों के लिए भारत भर के लाखों लोक सेवकों के वित्तीय और गैर-वित्तीय लाभों को आकार देगा।
8th CPC Gazette Notification Hindi
वित्त मंत्रालय
(व्यय विभाग)
संकल्प
नई दिल्ली, 3 नवम्बर, 2025
फा. सं. 01/01/2025- ई.III(ए).–भारत सरकार ने आठवें केंद्रीय वेतत आयोग का गठन करने का निर्णय लिया है, जो निम्नानुसार हैः-
- अध्यक्ष – श्रीमती न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई
- सदस्य (अंशकालिक) – प्रो. पुलक घोष
- सदस्य-सचिव – श्री पंकज जैन
2. आयोग के विचारार्थ विषय निम्नलिखित होंगे:
(क) कर्मचारियों की निम्नलिखित श्रेणियों के संबंध में विभिन्न विभागों, एजेंसियों एवं सेवाओं की युक्तिसंगतता, समकालीन कार्यात्मक आवश्यकताओं और विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वेतन, भत्ते एवं अन्य सुविधाओं/लाभों नकद अथवा वस्तु के रूप में सहित परिलब्धियों की जांच करना तथा वांछनीय और व्यवहार्य परिवर्तनों की सिफारिश करना:
(i) केन्द्र सरकार के कर्मचारी – औद्योगिक एवं गैर-औद्योगिक:
(ii) अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित कार्मिक;
(iii) रक्षा बलों से संबंधित कार्मिक;
(iv) संघ राज्य क्षेत्रों के कार्मिक;
(v) भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा विभाग के अधिकारी और कर्मचारी:
(vi) संसद के अधिनियमों के तहत गठित नियामक निकायों (आरबीआई को छोड़कर) के सदस्य;
(vii) उच्चतम न्यायालय के अधिकारी और कर्मचारी;
(viii) उच्च न्यायालयों के अधिकारी और कर्मचारी जिनपर होने वाला व्यय संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा वहन किया जाता है; और
(ix) संघ राज्य क्षेत्रों में अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायिक अधिकारी।
[टिप्पणी: न्यायिक अधिकारियों के संबंध में, आयोग अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ और अन्य बनाम केन्द्र सरकार और अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 24 अगस्त, 1993 के अपने दिए गए निर्णय में प्रतिपादित सिद्धांत का अनुपालन करेगा, अर्थात् न्यायाधीशों एवं प्रशासनिक कार्यपालिका की सेवा शर्तों के बीच कोई संबंध नहीं होगा और कि न्यायाधीश की सेवा शर्तों को न्यायपालिका की विशेष आवश्यकताओं को पूरा करना होगा॥।
(ख) सरकारी सेवा में प्रतिभाओं को आकर्षित करने, कार्य प्रणाली में दक्षता, जवाबदेही और उतरदायित्व को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल परिलब्धि संरचना तैयार करना।
(ग) निष्पादन और उत्पादकता में सुधार करने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए बोनस की वर्तमान योजनाओं की जांच करना तथा उत्पादकता और निष्पादन में उत्कृष्टता को पुरस्कृत करने के लिए सामान्य सिद्धांतों, वित्तीय मापदंडों, उत्पादकता और निष्पादन संबंधी मापदंडों पर सिफारिशें करना।
(घ) मौजूदा भत्तों और उनकी स्वीकार्यता की शर्तों की समीक्षा करना तथा भत्तों की बहुलता को ध्यान में रखते हुए उनके युक्तिकरण की सिफारिश करना ।
(ड.)
(i) राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एकीकृत पेंशन योजना सहित) के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों की मृत्यु – सह- सेवानिवृत्ति ग्रेच्यूटी की समीक्षा और उस पर सिफारिशें करना।
(ii) राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एकीकृत पेंशन योजना सहित) के अंतर्गत न आने वाले कर्मचारियों की मृत्यु – सह – सेवानिवृत्ति ग्रेच्यूटी और पेंशन की समीक्षा करना तथा नीचे दिए गए पैरा च(iii) को ध्यान में रखते हुए उन पर सिफारिशें करना।
(च) निम्नलिखित को ध्यान में रखते हुए उपर्युक्त के संबंध में सिफारिशें करना:
देश की आर्थिक स्थिति और राजकोषीय विवेक की आवश्यकता;
यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता कि विकासात्मक व्यय एवं कल्याणकारी उपायों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध रहें;
गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की गैर-वित्तपोषित लागत;
उन राज्य सरकारों जो साधारणत: कुछ संशोधनों के साथ इन सिफारिशों को अंगीकार करते हैं,की वित्त व्यवस्था पर इन सिफारिशों के संभावित प्रभाव; और
केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध प्रचलित परिलब्धि संरचना, लाभ और कार्य परिस्थितियां;
3. आयोग अपनी कार्यप्रणाली स्वयं विकसित करेगा और ऐसे सलाहकारों, संस्थागत परामर्शदाताओं और विशेषज्ञों को नियुक्त कर सकता है जिन्हें यह आयोग किसी प्रयोजन विशेष के लिए आवश्यक समझे। यह आयोग ऐसी सूचना और ऐसे साक्ष्य ले सकता है जिन्हें यह आवश्यक समझे। भारत सरकार के मंत्रालय और विभाग आयोग द्वारा मांगी जाने वाली कोई सूचना और दस्तावेज तथा अन्य सहायता उपलब्ध कराएंगे। भारत सरकार का यह विश्वास है कि राज्य सरकारें, सेवा संघ तथा अन्य संबंधित पक्ष, आयोग को अपना संपूर्ण सहयोग और सहायता प्रदान करेंगे।
4. आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा।
5. आयोग, अपने गठन की तारीख से 18 माह की समयावधि के अंदर अपनी सिफारिशें देगा। आयोग, सिफारिशों को अंतिम रूप दिए जाने के पश्चात्, किसी भी मामले पर, आवश्यकता पड़ने पर अंतरिम रिपोर्ट भेजने पर विचार कर सकता है।
वी. वुअलनाम, सचिव
आदेश
आदेश दिया जाता है कि इस संकल्प को भारत के राजपपत्र में प्रकाशित किया जाए।
यह भी आदेश दिया जाता है कि इस संकल्प की एक प्रति भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासनों और अन्य सभी संबंधितों को प्रेषित की जाए।
वी. वुअलनाम, सचिव





