रेलवे बोर्ड का सख़्त निर्देश: झूठी जानकारी से नौकरी पाने वालों पर ‘सेवा समाप्ति’ की कार्रवाई हो, न कि अनुशासनात्मक नियम लागू हों
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर, 2025: रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) ने एक गंभीर मामले का संज्ञान लेते हुए सभी क्षेत्रीय रेलवे और उत्पादन इकाइयों को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। यह निर्देश उन व्यक्तियों के विरूद्ध कार्रवाई की सही प्रक्रिया स्पष्ट करता है जो सत्यापन प्रपत्र (Attestation Form) में झूठी या तथ्यात्मक जानकारी छिपाकर रेल सेवा में नियुक्ति प्राप्त करते हैं।
यह केस स्टडी (सं. ई(डीएडंए)2025 आरजी6-12 दिनांक 17/10/2025 के संदर्भ में) रेलवे प्रशासन के मार्गदर्शन के लिए जारी की गई है ताकि ऐसे मामलों में प्रशासनिक कार्रवाई की त्रुटियों को सुधारा जा सके।
केस अध्ययन: बर्खास्तगी और दोषसिद्धि छिपाने का मामला
रेलवे बोर्ड के संज्ञान में आए एक मामले में, एक व्यक्ति को रेल सेवा में नियुक्त किया गया था। बाद में, यह पता चला कि:
- नियुक्ति से पहले, उस व्यक्ति को किसी अन्य क्षेत्रीय रेलवे में उसकी पिछली सेवा से बर्खास्त किया जा चुका था।
- उसकी पिछली सेवा अवधि से संबंधित एक आपराधिक आरोप के लिए अभियोजन लंबित था।
- उसने सत्यापन प्रपत्र में इन दोनों तथ्यों का उल्लेख नहीं किया।
- नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान उसे आपराधिक मामले में दोषी भी ठहराया गया, लेकिन उसने यह तथ्य भी छिपाया।
क्षेत्रीय रेलवे द्वारा की गई त्रुटिपूर्ण कार्रवाई
संबंधित क्षेत्रीय रेलवे ने इन तथ्यों के सामने आने पर, उस व्यक्ति को रेल सेवक (अनुशासन और अपील) नियम, 1968 के तहत कार्रवाई शुरू की:
- शुरुआत में, आपराधिक दोषसिद्धि के कारण नियम 14(i) के तहत ‘सेवा से बर्खास्तगी’ का प्रस्ताव करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
- बाद में, यह नोटिस वापस ले लिया गया और नियम 9 के तहत ‘बड़ी शास्ति’ के लिए आरोप पत्र जारी किया गया, जिसमें पिछली बर्खास्तगी और आपराधिक दोषसिद्धि के तथ्य को छिपाने का आरोप लगाया गया।
- अनुशासनात्मक कार्यवाही के बाद, उसे ‘सेवा से हटाने’ की शास्ति लगाई गई, जिसकी पुष्टि अपीलीय प्राधिकारी ने की।
- मामला तब ‘पुनर्विलोकन’ (Review) के लिए बोर्ड कार्यालय भेजा गया, क्योंकि पुनरीक्षण प्राधिकारी ने ‘सेवा से हटाने’ की शास्ति को रदद करके कम शास्ति लगाई थी, जिससे कर्मचारी की बहाली का मार्ग खुल गया था।
Read in English: Railway Board Issues Strict Advisory on Action Against Individuals Securing Jobs with False Information
रेलवे बोर्ड का निर्णायक फैसला: नियुक्ति ‘शुरू से ही अमान्य’
रेलवे बोर्ड ने मामले पर विचार करने के बाद स्पष्ट किया कि क्षेत्रीय रेलवे द्वारा अपनाई गई कार्रवाई की प्रक्रिया सही नहीं थी।
बोर्ड ने पाया कि व्यक्ति ने पिछली नौकरी से बर्खास्तगी के तथ्यों को छिपाकर नियुक्ति प्राप्त की थी, जबकि ‘सेवा से बर्खास्तगी’ एक ऐसी शास्ति है जो सामान्य रूप से सरकार या रेल प्रशासन के तहत भावी रोजगार के लिए अयोग्यता मानी जाती है।
बोर्ड का मुख्य अवलोकन (Para 5): “उनकी नियुक्ति ‘स्वयं ही इस कारण से शुरू से ही अमान्य (void ab initio) थी। इसलिए, उसे रेल सेवक (अनुशासन और अपील) नियम, 1968 के नियम 14(i) या नियम 9 का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए था क्योंकि ये प्रावधान रेल कर्मचारियों के लिए स्वीकार्य हैं, न कि उन व्यक्तियों के लिए जो गलती/धोखाधड़ी से रेल सेवक का दर्जा प्राप्त कर लेते हैं।”
सही प्रक्रिया: सेवा की समाप्ति/नियुक्ति का रद्दीकरण
बोर्ड ने निर्देश दिया कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए, रेलवे को सत्यापन प्रपत्र के शीर्ष पर लिखे ‘चेतावनी’ कॉलम में निहित प्रावधानों का सहारा लेना चाहिए था।
सत्यापन प्रपत्र की चेतावनी स्पष्ट करती है कि:
- गलत जानकारी देना या तथ्यात्मक जानकारी को छिपाना निरर्हता माना जाएगा।
- यदि यह तथ्य सेवा के दौरान किसी भी समय सामने आता है, तो उसकी सेवाएँ समाप्त की जा सकती हैं।
अतः, आवश्यक कार्रवाई यह थी कि कथित व्यक्ति की नियुक्ति को ही समाप्त/रदद करने की प्रक्रिया का पालन किया जाए, न कि अनुशासनात्मक नियमों का प्रयोग किया जाए, जो उसे गलती से रेल कर्मचारी का दर्जा प्रदान करता है।
संबंधित क्षेत्रीय रेलवे को इस स्थिति के आलोक में पूरे मामले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया है। यह निर्देश सभी रेलों के मार्गदर्शन एवं जानकारी के लिए प्रसारित किया गया है ताकि भविष्य में ऐसी प्रशासनिक त्रुटियों को रोका जा सके।





